डेंगू क्या होता है ?
डेंगू बुखार एक वायरस द्वारा फैलता है। जिसे हम डेंगू वायरस कहते है। डेंगू वायरस को एक विशेष प्रकार के मच्छर फैलाते है। जिन्हे एडीज मच्छर कहते है इन मच्छरों के काटने से मानव संक्रमित हो सकता है। डेंगू बुखार के ज्यादातर लक्षण आम बुखार जैसे ही होते है।
डेंगू कैसे फैलता है :–
डेंगू वायरस एक संक्रमण होता है जब एडीज मच्छर मानव के संपर्क में आता है और मानव को काटता है तब मानव डेंगू से संक्रमित हो जाता है। एडीज मच्छर दिन के समय अधिकत्तर काटते है।
कभी–कभी मच्छर डेंगू संक्रमित व्यक्ति को काट लेते है जिससे मच्छर को डेंगू वायरस प्राप्त हो जाता है और यही मच्छर अन्य व्यक्ति को काटता है तो व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।
डेंगू एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में सीधे ही नही फैलता अथार्त संक्रमित व्यक्ति के पास बेठने , उसके साथ हाथ मिलाने , उसके साथ बातचित करने या मरीज़ के छींकने पर नाक से निकलने वाली बूंदों से डेंगू नही फैलता। ये संक्रमित व्यक्ति को काटे हुए मच्छर के काटने से फैलता है इसलिए इसे संक्रामक रोग कहते है।
डेंगू एसी जगह ज्यादा फैलता है, जो अस्वच्छता की समस्या से पीड़ित है। पानी भरने जैसी समस्या वाली जगह डेंगू जैसी बीमारी से अधिक पीड़ित होती है।
डेंगू के लक्षण :-
जब व्यक्ति डेंगू से संक्रमित होता है तब शुरुआत में व्यक्ति को सामान्य बुखार होती है क्योकि डेंगू के ज्यादातर लक्षण सामान्य बुखार से मिलते जुलते होते है धीरे-धीरे व्यक्ति में डेंगू के अन्य लक्षण दिखने लगते है और व्यक्ति डेंगू से गंभीर रूप से ग्रसित हो जाता है।
डेंगू से संक्रमित व्यक्ति में निम्न लक्षण देखने को मिलते है :-
- तेज बुखार होना 40°c के तपमान का
- बार-बार उल्टी आना
- जी मचलना
- आँखों के पीछे दर्द का होना
- माशपेशियो में दर्द होना
- पुरे बदन में दर्द होना
- हड्डियों और जोड़ो में बहुत ज्यादा दर्द का होना
- नाक व मसुडो से खून बहना
- चक्कर आना
- त्वचा पर लाल चकते होना
- ग्रन्थियो में सुजन
- पेट में दर्द होना
शुरुआत में जब व्यक्ति को डेंगू होता है तो व्यक्ति को सामान्य बुखार लगता है और व्यक्ति सामान्य बुखार समझ कर अनदेखा कर देते है जब 4-7 दिन बीतने के साथ डेंगू गंभीर रूप लेने लगता है समय पर इलाज न किया जाये तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
शिशुओ व बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण :-
कई बार कुछ लोग डेंगू से संक्रमित हो जाते है लेकिन उनमे डेंगू के कोई लक्षण सामने नही आते है अगर हम बच्चों की बात करे तो, शिशुओ और बच्चों में डेंगू के लक्षण अक्सर हल्के होते है।
वायरल बीमारी के लक्षणों की तरह ही शिशुओ और बच्चों में डेंगू के लक्षणों की शुरुआत होती है।
जैसे :-
- शरीर के तपमान का बढ़ना जो की लगभग एक सप्ताह तक रहे
- स्वभाव का चिडचिडापन होना और अशांत होना
- काफी उतेजित होना या उनींदा
- बच्चे का सामान्य से ज्यादा रोना
- नाक से खुन निकलना
- शरीर पर चकते बनना
- ज्यादा उल्टी होना
- तेज बुखार होना, जो कभी कम होता कभी बढ़ जाता है।
डेंगू से बचाव कैसे करे:-
लगातार डेंगू के बढ़ रहे मामलो को देखते हुए हमें डेंगू से बचने के उपायों को जानना बहुत जरुरी है। इन मच्छरो को बढ़ने से रोकना होगा ये मच्छर एसी जगह अंडे देते है, जहा पानी भरा होता है हमारे घरो में कही भी पानी को इकठ्ठा ना होने दे। घर के आस-पास भी पानी का कोई भराव ना हो।
ये मच्छर 2-4 दिन से इकटा पानी में भी अपने अंडे दे सकते है जितना हो सके स्वच्छता बनाये रखे।
कुछ घरेलु तरीके है जिनकी सहायता से आप खुद को डेंगू जैसी बिमारियो से सुरक्षित रख सकते है। और अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बड़ा सकते है जो आपको एसी बीमारियों से लड़ने में मदत करती है।
आप हल्दी का नियमित सेवन करे क्योकि हल्दी एक एंटीबायोटिक औषधि है इसके नियमित सेवन से आप डेंगू से बच सकते है।
तुलसी के पतों को पानी में उबाल कर इसे शहद के साथ लेने से भी काफी हद तक आप डेंगू से बच सकते है।
जितना जल्दी हो सके डेंगू से संक्रमित व्यक्ति का डॉक्टर के पास इलाज कराये तथा डॉक्टर द्वारा दी गयी सलाह और दवाई को समय पर ले।
डेंगू का उपचार:-
जब आपको बुखार आता है या बताये हुए लक्षणों में से कुछ भी होता है तो आप सबसे पहले डॉक्टर की सलाह ले और अपनी जाँच करवाए। डेंगू के लिए NS1 , IGM तथा इलाइजा जैसी कई जाँच होती है ये जाँच आपको 4-5 दिन के भीतर करवाना आवश्यक है ताकि परिणाम सही प्राप्त हो ज्यादा दिन बित जाने पर जाँच की जाये तो परिणाम पुरे तरह सही प्राप्त हो यह कहना मुस्किल है। जाँच के बाद डॉक्टर द्वारा बताई बातो का ध्यान रखे दवाई नियमित रुप से ले और सावधानिया बरते।
डेंगू से बचाव में घरेलु उपचार :-
डेंगू से बचाव में बहुत से घरेलु उपाय है जो आपको डेंगू से स्वस्थ होने में मदत करेंगे।
जैसे:-
- नीम:- नीम का रस निकाल कर उसका सेवन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है तथा प्लेटलेट्स की संख्या में भी सुधार होता है तथा WBC ( स्वेत रक्त कोशिकाए ) की संख्या में भी वृद्धि होती है।
- गिलोय:- गिलोय एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है जो कई रोगों के निवारण में कारगर रही है। गिलोय आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। गिलोय का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करे। थोडा सा गिलोय का तना ले और उसमे 3-4 पते तुलसी के डाले और इसका काढ़ा बनाये इसका नियमित सेवन स्वास्थ्य वर्धक होगा।
- तुलसी:- तुलसी भी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है इसको पानी में उबाल कर ले।
- पपीता:- आप डॉक्टर की सलाह से पपीते का सेवन करे। पपीते में कार्बनिक योगिक तथा पोष्टिक तत्व होते जो प्लेटलेट्स की संख्या में वृद्धि करते है।
- नारियल का पानी:- नारियल का पानी आपके शरीर को मजबूत बनाता है इसमें मिनरल्स तथा अन्य पोषक तत्व होते है। डॉक्टर की सलाह से आप इसका सेवन करे।
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